वित्तीय प्रभाव

फीस वृद्धि के कारण स्टाफिंग खर्च बढ़ने की उम्मीद है, जिससे टेक दिग्गज अपनी संचालन रणनीतियों को समायोजित करने के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। Amazon और Apple समेत कई कंपनियां मुख्यतः भारत से विशाल संख्या में H-1B वीजा धारकों को नियुक्त करती हैं। फीस वृद्धि का मतलब है कि कंपनियों को यह तय करना होगा कि किन भूमिकाओं को प्रायोजित करना है, जिससे जूनियर और मिड-लेवल पदों को विदेश में रखने की संभावना है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार की प्रतिक्रिया

बाजार भावना का संकेत देते हुए, नास्डैक पर कॉग्निज़ेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस के शेयर लगभग 4.75% गिर गए, जबकि इंफोसिस ने NYSE पर 3.40% की गिरावट देखी। वित्तीय विश्लेषक संकेत देते हैं कि भारतीय आईटी कंपनियां एक सिमटते हुए प्रतिभा पूल का सामना कर सकती हैं, जिससे प्रतियोगिता और संचालन खर्च बढ़ सकता है।

टेक दिग्गजों के लिए रणनीतिक बदलाव

SMC ग्लोबल सिक्योरिटीज की वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक सीमा श्रीवास्तव के अनुसार, “फीस में वृद्धि अमेरिकी और भारतीय टेक कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण अमेरिकी संचालन के साथ स्टाफिंग खर्चों को नाटकीय रूप से बढ़ा देगी।” इसके अलावा, कंपनियों को अपनी भर्ती रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, जिसमें वे अधिक ऑनशोरिंग पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं और संभवतः अपनी अमेरिकी कार्यबल को बढ़ा सकती हैं।

विश्लेषक अंतर्दृष्टियाँ और भविष्यवाणियाँ

Basav Capital के संदीप पांडे कहते हैं, “बढ़े हुए कर्मचारी खर्च से कंपनियों के लाभ मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है, विशेष रूप से उन कंपनियों के लिए जो महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए H-1B पेशेवरों पर निर्भर हैं।” विश्लेषक सुझाव देते हैं कि अमेरिकी स्टॉक बाजारों के फिर से शुरू होने पर टेक शेयरों में संभावित नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं।

भारतीय आईटी क्षेत्र को झटका

भारत में, प्रभाव तुरंत महसूस हुआ। निफ्टी आईटी सूचकांक में इंट्राडे ट्रेडों में 3.5% से अधिक की गिरावट आई, जिसमें टेक महिंद्रा ने 5.8% की सबसे गहरी गिरावट दर्ज की। एमफेसिस, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स और अन्य ने भी उल्लेखनीय गिरावट देखी, जो अमेरिकी नीति निर्णय के व्यापक प्रभाव को उजागर करती है।

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि वैश्विक टेक बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में कार्य करती है, जो कि कॉर्पोरेट संचालन और निवेशक रणनीतियों को जीवंत तकनीकी परिदृश्य में बदल सकती है। टेक कंपनियाँ और निवेशक अब बढ़ते हुए स्टाफिंग खर्चों और प्रतिभा गतिशीलता में बदलाव के कारण आने वाली चुनौतियों की एक लहर के लिए तैयार हो रहे हैं।